Friday 29 September 2017

आस्था

धर्म व्यक्ति की वो टीस है जिसे खुरचकर व्यक्ति के अस्तित्व की आस्था को चोटिल किया जा सकता है। व्यक्ति की सबसे बड़ी कमजोरी है उसका धर्म। व्यक्ति जिस धर्म में जन्म लेता है अंत में उसी धर्म के अस्तित्व में विलीन होता है। बचपन से व्यक्ति को जिस धर्म के संस्कार दिए जाते हैं वह उन्हीं संस्कारों को चरितार्थ करता है। किसी भी व्यक्ति को अधिकार नहीं है कि वह अन्य के धर्म के विषय में कुछ भी अपशब्द कहे। जिस धर्म की गहराई को हम माप नहीं सकते उसे हम क्यों चोटिल करें । ऐसा कुछ ना कहा जाए कि व्यक्ति विशेष के धर्म से जुड़ी आस्था को चोट पहुँचे।
।। श्री परमात्मने नमः।।

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