ब्राह्मणों को जनेऊ कराने के बाद कितने अनुशासन और विधि-विधान का पालन करने के बाद पुण्य प्राप्त होता है. जबकि शूद्र केवल निष्ठा से सेवा दायित्व निभा कर वह पुण्यलाभ अर्जित कर सकते हैं. सब कुछ सहते हुए वे ऐसा करते भी आए हैं इसलिए शूद्र ही साधु हैं.
।। श्री परमात्मने नमः।।
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