Sunday 5 March 2017

उद्धार

हर घट भीतर, हर इक जन से
प्रभु समझकर करलें प्यार।
हर घट भीतर हर इक जन से
प्रभु समझ करलें सत्कार।।
इक का ही केवल गुण गायें
इक का ही करलें दीदार।
इसी एक से जग को जोड़ें
करलें जीवन नौका पार।।
एक को सुमिरें श्वास श्वास पर
दूजे के संग ना हो प्यार।।
समझें प्रभु को हर घट भीतर
तब होगा जीवन उद्धार।।
।।श्री परमात्मने नमः।।

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