दुनिया में कोई भी आदमी परफेक्ट नहीं होता है. बेहतर है कि हम लोगों को छोड़ने की बजाय उनके साथ एडजस्ट करना सीखें क्येंकि मानव जीवन बड़ा ही अद्भुत है. दोस्त का दुश्मन बन जाना और दुश्मन का दोस्त बन जाना प्रकृति की व्यवस्था है. दोनों स्थितियों में चाह है जिसमें एक जोड़ता है और दूसरा तोड़ता है. एक अस्तित्व है तो दूसरा विरक्ति. एक अभिव्यक्ति तो दूसरा प्रेरणा. फर्क सिर्फ इतना है कि दोनों एक दूसरे को जानने का प्रयास नहीं करते. बस जरुरत है इस परिवर्तनशील संसार में हमें शाश्वत आनंद प्राप्त करने के लिए परमानंद को पकड़ना होगा तभी जीवन सफल होगा.
।।श्री परमात्मने नमः।।
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