अगर चित्त सारे संस्कारों से मुक्त हो जाए तो नया जीवन ही न हो सकेगा। जन्म-मरण के चक्कर से छुटकारा हो जाएगा पर संस्कार कायम है इसलिये एक जन्म के बाद दूसरा जन्म होता है। ।। श्री परमात्मने नमः।।
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