परमपिता परमेश्वर ने जब सभी इंसानों के चेहरों को अलग-अलग बनाया है तो फिर सबके विचार एक जैसे कभी-भी हो ही नहीं सकते! यह हमारी-आपकी नादानी है कि हम अपने-अपने विचारों को जबरन दूसरों पर थोपना चाहते हैं और वे जब इसे मानने से इनकार करते हैं तो हम नाराज़ हो जाते हैं! हम भी तो सबके विचारों को नहीं मानते हैं तो फिर ऐसा क्यों...?
।। श्री परमात्मने नमः।।
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