गुरु ही शिव हैं, गुरु ही माया हैं जो नारायण बनके साधक को हमेशा ही उसका पालन करते हैं तथा शिव बनकर उनका हमेशा अहंकार का विनाश करते हैं। ।। श्री परमात्मने नमः।।
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