धर्म हमारे मन, कर्म, वचन से एक परमात्मा के प्रति समर्पण दिलाता है। भली प्रकार समर्पण सधते ही वह परमात्मा हमारे अंतःकरण से जागृत होकर उठाने-बैठाने और मार्गदर्शन करने लगते हैं। सद्गुरु का परिचय भी वही देते हैं। सद्गुरु के उपलब्ध होते ही मार्ग प्रशस्त होने लगता है। अंतःप्रेरणा होने लगती है अन्यथा विश्व भर की जानकारियाँ संग्रह करके भी हम भाषा और बुद्धि-कौशल से धार्मिक निर्णय नहीं दे सकते।
।। श्री परमात्मने नमः।।
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