हे सत्गुरु! दुनिया के विषयसुख में लिप्त रहकर जीने से अच्छा है तेरी चौखट पे मर जाऊँ... भवसागर में डूबने से अच्छाहै "सत्गुरु" नामरस में डूब जाऊँ.... ।।श्री परमात्मने नम:।।
No comments:
Post a Comment