Thursday 2 February 2017

सत्गुरु

हे सत्गुरु! दुनिया के विषयसुख में लिप्त रहकर जीने से अच्छा है तेरी चौखट पे मर  जाऊँ... भवसागर में डूबने से अच्छाहै "सत्गुरु" नामरस में डूब जाऊँ....
।।श्री परमात्मने नम:।।

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