गुरु से मुहब्बत आला इबादत है, सब से उत्तम आराधना है, अपना झंडा न फहरायें यह अनुशासनहीनता है। गुरु का ही झंडा लेकर चलेंगे तो आगे बढ़ते जायेंगे। ।।श्री परमात्मने नम:।।
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