Saturday 11 February 2017

मानसिक-व्यथा

अगर सुरत को सूक्ष्म शरीर से हटा कर आत्मा पर लगा दें तो कितनी ही मानसिक व्यथा क्यों न हो महसूस नहीं होती। अपने केन्द्र ( ईश्वर ) में अगर हमने अपने ध्यान को जमा दिया है तो उस हालत में हम जो कुछ भी कर रहे हैं सब ईश्वर के हुक़्म से हो रहे हैं, अगर हम उसके ध्यान में बैठे हैं तो हमारे हर एक काम का ज़िम्मेदार वह ईश्वर है। हमारा पहला और असली काम अपनी रहनी-सहनी को सम्भालना है।

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