परमपिता परमात्मा ने हमसबों को धनुषाकार होंठ दिया है परंतु उन होंठों से शब्दों के बाण ऐसे मत छोड़ें कि सामने वालों का हृदय विंध जायें! ।। श्री परमात्मने नमः।।
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