Thursday 20 September 2018

मुसाफिर

कभी न कहिए कि अपने दिन ख़राब हैं समझ लीजिए कि हम काँटों से घिरे गुलाब हैं! रखिए हौसला वो मंज़र भी आयेगा और प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा! थककर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफ़िर, मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा!
।। श्री परमात्मने नमः।।

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