हे मानव ! ये जीवन बड़ा अनमोल है! ये दुनियाँ बड़ी गोलमोल है! जीवन है एक जुआ! जीत गए तो भव को उतर गए नहीं तो...! हम अपने अतीत को कभी भी झाँककर नहीं देखते! जाने अनजाने पता नहीं कितने अपराध हमसे होते रहते हैं पर हम हैं कि अपनी धुन में खोये ही रहते हैं और पता ही नहीं चल पाता कि कब जीवन की शाम हो गई? इसी भागती दौड़ती जिंदगी में से कुछ समय यदि हम “हरि” नाम में लगा लें तो कुछ अंश सुख का हमारी झोली में आ गिरे लेकिन हम हैं कि इस व्यस्ततम और मशीनी जिंदगी से समय निकालना ही नहीं चाहते हैं क्योंकि हम इतने ज्यादा भोगी हो चुके हैं कि भगवान भजन में समय बिताना रास ही नहीं आता है! यदि हम दृढ़ संकल्प कर लें तब सरलता से समय भी निकाला जा सकता है! वर्तमान समय में यदि मोह माया से थोड़ा सा अलग करके स्वयं का आकलन किया जाए तब शायद चक्षु खुलने में देर ना लगे!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Wednesday 12 September 2018
संकल्प
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