शरीर से प्रेम है तो आसन, सांस से प्रेम है तो प्राणायाम, आत्मा से प्रेम है तो ध्यान और परमात्मा से प्रेम है तो समर्पण करें. ।। श्री परमात्मने नमः।।
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