वर्तमान परिप्रेक्ष्य के मद्देनजर बदलाव अत्यावश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में जो उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं वह हाथी-दाँत की तरह केवल दिखावे के लिए हैं। अब रही शिक्षा की बात तो वह बैशाखियों के सहारे अर्द्ध जीवित है। एमडीएम में भारी लूट मची हुई है। अपराध पर समूल नियंत्रण तो असंभव ही है। भ्रष्टाचार की कौन कहे... ? अंततः हम यही कहना चाहेंगे कि जो कुछ भी हो परन्तु लोकतांत्रिक प्रणाली में चेतना जागी है। जनता जनार्दन कभी भी बदलाव कर सकती है।
।।श्री परमात्मने नमः।।
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