Saturday 8 June 2019

दास्तां

संप्रति युग की दास्तां-- बड़े घर, परिवार नहीं। ज्यादा पढ़ाई, तमीज़ नहीं। महंगी दवाई, सेहत नहीं। आकाश छूना है, पड़ोसी का पता नहीं। आमदनी ज्यादा, सुकून नहीं। बौद्विक स्तर ऊंचा, भावना नहीं। ज्ञान अच्छा, अकल नहीं। प्रेम संबंध बहुत, सच्चा प्यार नहीं। व्हाट्सएप्प-फेसबुक के दोस्त बहुत, सच्चा दोस्त नहीं। शराब ज्यादा, पानी नहीं। घड़ी और  मोबाइल महँगे, समय नहीं। इंसान बहुत, इंसानियत नहीं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

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