Friday 13 July 2018

स्वर्णिम नियम

हमारा मस्तिष्क रचनात्मक माध्यम है इसलिए हम दूसरों के बारे में जो सोचते और महसूस करते हैं उसे अपने खुद के अनुभव में ला रहे हैं! यही स्वर्णिम नियम का मनोवैज्ञानिक अर्थ है! जैसा हम चाहते हैं कि दूसरे हमारे बारे में सोचे ठीक उसीतरह हम भी उनके बारे में सोचें!
।। श्री परमात्मने नमः।।

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