Thursday 12 July 2018

कर्म-प्रधान

हमें पूर्व जन्मों के कर्मों से ही इस जन्म में माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, प्रेमी-प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-संबंधी इत्यादि संसार में जितने भी रिश्ते-नाते हैं सब मिलते हैं क्योंकि हमें इन सबको या तो कुछ देना होता है या इनसे कुछ लेना होता है! अतः स्वार्थी न बनकर सारथी बनना चाहिए!
।। श्री परमात्मने नमः।।

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