Wednesday 3 May 2017

महत्वाकांक्षा

महत्वाकांक्षा के आधार पर खड़ा जगत कभी-भी अहिंसक नहीं हो सकता है फिर चाहे यह महत्वाकांक्षा संसार की हो या मोक्ष की। जहाँ महत्वाकांक्षा है वहाँ हिंसा है और विज्ञान ने महत्वाकांक्षी मनुष्य के हाथों में असीम शक्ति दे दी है। अब यदि धर्म ने मनुष्य के चित्त से महत्वाकांक्षा न छीनी तो विनाश सुनिश्चित है।
हे भगवान! अब तू ही एक सहारा है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

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