Tuesday 20 February 2018

शिव-स्तुति

हे डमरू वाला तेरा है रूप निराला - 2
निखिलेश्वरानंद व्यापक तू मोक्षरूप ब्रह्मानंद
वेदस्वरूप विराजे जग में ब्रह्म रूप सच्चिदानंद
लगा समाधि विभु तुम्हीं को ध्यान धरे नंदलाला,
हे डमरू वाला.....
भेद रहित प्रभु तू है दिगंबर मायारहित तू निर्गुण
दिशा ईशान का ईश्वर है तू सबकुछ तुझपर अर्पण
इच्छा रहित तू सबके स्वामी, कैलाश में डेरा डाला,
हे डमरू वाला.....
निराकार गंभीर कृपालु सबके प्यारे नाथ
गुणागार अखंड अजन्मा बसे भवानी साथ
महाकाल का काल भी तू है तेरा नयन विशाला
हे डमरू वाला....
वाणी, ज्ञान, संसार परे तू गंगा धारे माथ
नीलकंठ इन्द्रियातीत तू त्रिशूल है तेरे हाथ
द्वितीया का चंदा ललाट पे कोटि भानु उजियाला,
हे डमरू वाला...
त्रिगुणातीत दयालु शंकर ओंकार के मूल
जीवों के तीनों शूलों को करता तू निर्मूल
तेजस्वी परमेश्वर सन्मुख, कामदेव लजाला
हे डमरू वाला...
तू चेतन आकाशरूप है त्रिपुरारी विकराल
गौरवर्ण गिरीश सम तेरे गले पड़े हैं व्याल
ओऽम् नमः शिवाय का मंत्र ले जग वाला
हे डमरू वाला....
रूद्र रूप पहने मुंडमाला कुंडल शोभे कान
हे प्रसन्न मुख सच्चिदानंद तुमने किया विषपान
सिंह चर्म का अंबार धारे कैसा है तप वाला
हे डमरू वाला....
कामदेव का शत्रु तू तो करता कल्प का अंत
देता सदा मोह को हरकर सज्जन को आनंद
कालातीत श्रेष्ठ तू भगवन कण-कण में समाला
हे डमरू वाला....
तू कल्याण स्वरूप भाव का भूखा है भगवान
जीव समस्त के अंदर बसता सुंदर भृकुटी तान
जो न भजे तेरे चरणों को जन्म-जन्म पछताला
हे डमरू वाला....
योग जाप पूजा नहीं आता नमस्कार हो शंभो
जरा-जन्म के दुःख समूह से रक्षा कर मेरी शंभो
तुष्टि मिलेगा तुझे दिवाकर ले रुद्राक्ष की माला
है डमरू वाला....
स्वरचित - - >रुद्राष्टक का हिंदी रूपांतर (दिवाकर प्रसाद)

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