सपने हजारों हैं आँखों में पलते नदियों की धारा हैं आपस में मिलते। कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ ? विद्या-मंदिर में बारात जो ठहरते। ।। श्री परमात्मने नमः।।
No comments:
Post a Comment